The naming of Bihar Capital…
बात बहुत पुरानी है। एक लड़का एक शहर में, एक लड़की पर फिदा हो गया। जैसे ही वो लड़की दिखे, ये भागकर कहीं से फूल तोड़कर उसे देता। और कुछ नहीं कहता।
लड़की को वो पसंद नहीं था, ऐसी बात नहीं। लेकिन ये खुद कुछ क्यों नहीं बोलता? ये उस लड़की की परेशानी थी।
सिलसिला नहीं रुका। लड़का फूल देता रहा, लड़की फूल लेती रही। एक दिन लड़की का सब्र खत्म हुआ।
जैसे ही लड़के ने फूल दिया, लड़की ने कहा, “रहने दे, मै तुझसे नहीं पटने वाली !”
लड़का चौक कर चला गया।
दूसरे दिन फिर लड़का फूल लेकर लड़की के पास गया। लड़की ने फूल लिया, बोला, “इसके बावजूद मै तुझसे नहीं पटने वाली !”
अब की बार लड़का तैयार था। झट से बोला, “पट ना !”
ये रोज की बात हो गई। लड़की फूल लेती, खुश होती। हस के बोलती, “फूल तो लेती हूं मै तेरा, लेकिन याद रख, मै तुझसे नहीं पटने वाली !”
“पट ना”, लड़का बोला !
किस्सा मशहूर हो गया। लोग उस शहर से इस लड़के और लड़की को जोड़ने लगे थे। उस शहर की बात निकले, तो धीरे धीरे लोग, शहर का नाम के बजाए किस्सा बताने लगे। “अरे वही शहर, जहां लड़की बोलती है कि वो फूल तो लेगी, पसंद भी करेगी लड़के को। लेकिन बावजूद इसके, वो उस लड़के से नहीं पटने वाली !
और फिर लड़का सुंदर हस कर बोलता है, पट ना !”
समय के साथ, लोग संदर्भ भूल गए। याद रही बस एक बात, की ये वही शहर है, जहां लड़की बताती रही, “मै नहीं पटने वाली !”
और लड़का बोलता रहा, “पट ना !”
आज वही शहर बिहार राज्य की राजधानी है !